घर में नवरात्रि पूजा विधि – कलश स्थापना और मंत्र
Navratri Puja Vidhi at Home – Kalash Sthapana and Mantra
नवरात्रि में पूजा का आयोजन बहुत महत्व रखता है। घर में नवरात्रि पूजा विधि में सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है, जो घर में सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक होता है।
यहां कुछ प्रमुख विधियाँ दी जा रही हैं :-
1. कलश स्थापना की विधि:-
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स्थान चुनें: सबसे पहले पूजा के लिए एक स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें। यह स्थान घर के किसी एक कोने में होना चाहिए, जहाँ घर के सदस्य एकत्रित हो सकें।
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साफ-सफाई: पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसे गंगाजल या पवित्र जल से धोकर शुद्ध करें।
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कलश सजाना: एक ताम्र, मिट्टी, या कांस्य का कलश लें। उसमें जल भरकर ऊपर आम के पत्ते रखें और फिर एक नारियल रखें। नारियल के ऊपर लाल कपड़ा बांधें।
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धनिया या जौ का पौधा: कलश के पास एक बर्तन में धनिया या जौ के बीजों का पौधा लगाएं। यह समृद्धि और शुभता का प्रतीक होता है।
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स्थापना मंत्र: कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
"ॐ श्री गणेशाय नमः।"
"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्।"
"ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं स्वाहा।"
2. मंत्र पढ़ने की विधि:-
नवरात्रि पूजा में प्रत्येक दिन माता दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा होती है। कलश स्थापना के बाद कुछ प्रमुख मंत्रों का उच्चारण करें:-
- माँ दुर्गा का शान्ति मंत्र :-
"ॐ दुं दुर्गायै नमः।"
नवरात्रि के पहले दिन
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माँ शैलपुत्री के पूजन के लिए :-
"ॐ शैलपुत्र्यै नमः।"
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माँ ब्रह्मचारिणी के पूजन के लिए :-
"ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः।"
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माँ चंद्रघंटा के पूजन के लिए :-
"ॐ चंद्रघंटायै नमः।"
3. पूजा की अन्य विधियाँ :-
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नित्य पूजन: हर दिन सुबह और शाम को देवी दुर्गा की पूजा करें। देवी के नाम का जाप और मंत्रों का उच्चारण करें।
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व्रत रखना: नवरात्रि के नौ दिनों तक उपवासी रहें और शाकाहारी आहार लें।
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नौ देवी पूजन: प्रत्येक दिन अलग-अलग देवी के रूप का पूजन करें और नौ दिनों तक देवी के मंत्रों का जाप करें।
4. कृपया ध्यान रखें:-
- पूजा स्थान को स्वच्छ और शुद्ध रखें।
- किसी भी प्रकार के विवाद या नकारात्मकता से बचें।
- देवी की पूजा पूरी श्रद्धा और भावनाओं से करें।
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