2 अप्रैल 2025

How to follow religion in Kaliyuga?

कलियुग में धर्म का पालन कैसे करें?




हिंदू धर्म के अनुसार, वर्तमान समय को "कलियुग" कहा जाता है, जो चार युगों में अंतिम और सबसे जटिल युग है। इस युग में अधर्म और असत्य का प्रभाव अधिक होता है, लेकिन फिर भी व्यक्ति अपने सद्कर्मों और सच्चे आचरण के माध्यम से धर्म का पालन कर सकता है।


1. सत्य और अहिंसा का पालन करें 


महर्षि वेदव्यास ने कहा है, "सत्यं वद, धर्मं चर" अर्थात सत्य बोलो और धर्म का आचरण करो। साथ ही, महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र में कहा है, "अहिंसा सत्यास्तेय ब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः" – अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (त्याग) को जीवन में अपनाना चाहिए। सत्य और अहिंसा का अनुसरण करना कलियुग में धर्म का पालन करने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। सत्य बोलने और अहिंसा का पालन करने से हमारा जीवन शुद्ध और शांतिपूर्ण बनता है।



2. भगवद भक्ति और ध्यान 


भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि कलियुग में भक्ति योग सबसे प्रभावी साधन है। भगवान का स्मरण, मंत्र जाप, ध्यान और कीर्तन करने से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर सकता है और पापों से दूर रह सकता है। महर्षि नारद ने भी अपने भक्ति सूत्रों में कहा है, "सात्त्विकी श्रद्धा भक्ति" – अर्थात सच्ची भक्ति वही है जो प्रेम और समर्पण से की जाए।


3. अच्छे कर्म करें और सेवा भाव अपनाएं 


कलियुग में धर्म का पालन करने के लिए हमें दया, परोपकार और सेवा को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। भूखों को भोजन कराना, जरूरतमंदों की सहायता करना और दान करना अच्छे कर्मों का उदाहरण हैं।


4. धर्मग्रंथों का अध्ययन करें 


रामायण, महाभारत, भगवद गीता और उपनिषद जैसे धर्मग्रंथों का अध्ययन करने से हमें सही मार्गदर्शन मिलता है। ये ग्रंथ हमें सिखाते हैं कि कठिन समय में भी धर्म के मार्ग पर कैसे चला जाए।



5. आत्मसंयम और सदाचार अपनाएं 


कलियुग में विभिन्न प्रलोभन और विकारों से बचने के लिए आत्मसंयम और सदाचार बहुत आवश्यक हैं। बुरी संगति से दूर रहना, क्रोध, लोभ और मोह पर नियंत्रण रखना, और अपने विचारों को शुद्ध रखना महत्वपूर्ण है। महर्षि मनु ने अपने मनुस्मृति में कहा है, "धर्म एव हतो हंति धर्मो रक्षति रक्षितः" – जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।


6. संतों और गुरुओं का मार्गदर्शन लें


संतों और गुरुओं के उपदेशों को सुनकर और उनका अनुसरण करके व्यक्ति अपने जीवन को धर्म के अनुसार चला सकता है। सच्चे गुरु का मार्गदर्शन व्यक्ति को सही राह दिखाता है।


निष्कर्ष :-


कलियुग में धर्म का पालन करना कठिन तो हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं। सत्य, अहिंसा, भक्ति, अच्छे कर्म और आत्मसंयम के माध्यम से हम धर्म के मार्ग पर चल सकते हैं और अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। धर्म का पालन केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन के आचरण में झलकना चाहिए।





1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Hello