WOLK : Learned women of the Vedic period
वैदिक काल में महिलाओं को विद्या और स्वतंत्रता का विशेष अधिकार था। कई महिलाओं ने ज्ञान के क्षेत्र में महान योगदान दिया। वे वेदों और उपनिषदों के मंत्रों की रचना में भी सक्रिय रहीं।
प्रमुख विदुषी महिलाएँ:-
1. गार्गी वाचक्नवी
वेदों और ब्रह्मज्ञान की विद्वान।
याज्ञवल्क्य के साथ शास्त्रार्थ किया।
"ब्रह्मवादिनी" के रूप में प्रसिद्ध।
2. मैत्रेयी
याज्ञवल्क्य की पत्नी और ब्रह्मज्ञान की साधिका।
आत्मा और ब्रह्म के संबंध पर चर्चा की।
3. लोपामुद्रा
ऋषि अगस्त्य की पत्नी।
वेदों में लोपामुद्रा के मंत्रों का उल्लेख मिलता है।
"लोपामुद्रा सूक्त" की रचनाकार।
4. अदिति
ऋग्वेद में अदिति को देवताओं की माता और ज्ञान की देवी माना गया।
ऋग्वेद में उनके कई मंत्र हैं।
5. घोषा
ऋग्वेद की एक ऋषिका।
उन्होंने स्वास्थ्य और सुखद जीवन पर मंत्रों की रचना की।
उनकी रचनाओं में आयुर्वेद और उपचार का वर्णन है।
6. अपाला
ऋग्वेद की ऋषिका, जिन्होंने 10वें मंडल में ऋचाओं की रचना की।
अपाला का योगदान औषधीय विज्ञान और वेदों में वर्णित है।
7. सुलभा
एक महान दार्शनिक और विदुषी।
राजा जनक के दरबार में अपनी विद्वता का परिचय दिया।
8. कक्षीवती
वेदों की ज्ञाता और ब्रह्मवादिनी।
ऋग्वेद में उनका नाम आता है।
9. विष्ववारा
ऋग्वेद की एक महान ऋषिका।
यज्ञ और आध्यात्मिक ज्ञान पर उनके मंत्र प्रचलित हैं।
10. शश्वती
एक प्रसिद्ध ब्रह्मवादिनी, जिन्होंने शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में योगदान दिया।
निष्कर्ष
वैदिक काल की महिलाएँ केवल परिवार तक सीमित नहीं थीं। उन्होंने ज्ञान, वेदों की रचना, और समाज के नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान में प्रमुख भूमिका निभाई। उनकी विद्वत्ता आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
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