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11 फ़र॰ 2025

Maghi Purnima

WOLK: Maghi Purnima


माघी पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा को कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण तिथि होती है और विशेष रूप से स्नान, दान और तपस्या के लिए उत्तम मानी जाती है। इस दिन गंगा, यमुना, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

21 जन॰ 2025

Hindu Calendar Months

हिंदू कैलेंडर में 12 महीनों के नाम होते हैं, जो चंद्र महीनों पर आधारित होते हैं। ये नाम निम्नलिखित हैं:-





1. चैत्र (Chaitra): मार्च-अप्रैल


2. वैशाख (Vaishakha): अप्रैल-मई


3. ज्येष्ठ (Jyeshtha): मई-जून


4. आषाढ़ (Ashadha): जून-जुलाई


5. श्रावण (Shravana): जुलाई-अगस्त


6. भाद्रपद (Bhadrapada): अगस्त-सितंबर


7. आश्विन (Ashwin): सितंबर-अक्टूबर


8. कार्तिक (Kartika): अक्टूबर-नवंबर


9. मार्गशीर्ष (Margashirsha): नवंबर-दिसंबर


10. पौष (Pausha): दिसंबर-जनवरी


11. माघ (Magha): जनवरी-फरवरी


12. फाल्गुन (Phalguna): फरवरी-मार्च


विशेषताएँ:


ये नाम चंद्रमा के चरणों और ऋतुओं के आधार पर तय किए जाते हैं।


हर महीने में दो पक्ष (अमावस्या से पूर्णिमा तक का शुक्ल पक्ष और पूर्णिमा से अमावस्या तक का कृष्ण पक्ष) होते हैं।


इन महीनों का उपयोग धार्मिक त्योहारों और संस्कारों की तिथियों के निर्धारण में किया जाता है।



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12 जन॰ 2025

Swami Vivekananda Jayanti: Celebration of a visionary


स्वामी विवेकानंद जयंती: एक युगदृष्टा का उत्सव


WOLK: Swami Vivekananda Jayanti: Celebration of a visionary


स्वामी विवेकानंद जयंती, जिसे राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जन्म तिथि के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह दिन न केवल उनके अद्वितीय जीवन और योगदान का सम्मान करता है, बल्कि युवा पीढ़ी को उनके विचारों और आदर्शों से प्रेरित होने का भी संदेश देता है। स्वामी विवेकानंद भारत के महानतम संतों में से एक थे, जिनकी शिक्षाओं ने न केवल भारत को, बल्कि पूरे विश्व को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मार्गदर्शन प्रदान किया।

10 जन॰ 2025

Purnima Vrat

 


 


पूर्णिमा व्रत


पूर्णिमा व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। पूर्णिमा का व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि के दिन जो व्यक्ति स्नान दान के कार्य करता है वह शुभ फलदायी माने जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति को सभी दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

कब रखा जाएगा पौष पूर्णिमा का व्रत?


पंचांग के अनुसार, पौष माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 जनवरी को सुबह में 5 बजकर 2 मिनट पर होगा और पूर्णिमा तिथि अगले दिन 14 जनवरी को सुबह 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पूर्णिमा तिथि उदयकाल में 13 जनवरी को होने के कारण पूर्णिमा का व्रत 13 जनवरी सोमवार के दिन रखा जाएगा।

पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व


पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में शाही स्नान किया जाता है। इसी के साथ इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस बार पौष पूर्णिमा से यानी 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ मेला शुरु होने जा रहा है।

पौष पूर्णिमा के दिन करें ये काम


पौष पूर्णिमा के सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। यदि आप किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान कर सकते हैं तो उत्तम है। वरना आप घर पर ही गंगाजल पानी में डालकर स्नान कर लें। फिर व्रत का संकल्प लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर पीले रंग के वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पूजा में धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें और अंत में पूर्णिमा की कथा पढ़ें।

पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि


पौष पूर्णिमा दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, वरना घर पर ही सामान्य जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और ॐ घृणिः सूर्याय नमः मंभ का जप करें। इसके बाद एक चौकी पर साफ-सुथरा लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पूजा में धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें।

 


 

6 जन॰ 2025

Guru Gobind Singh Jayanti Editorial

गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2025: एक प्रेरणादायक पर्व


भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत में गुरु गोबिंद सिंह जी का स्थान अद्वितीय है। सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने न केवल धार्मिक चेतना को प्रोत्साहित किया बल्कि सामाजिक सुधार, समानता, और मानवता की सेवा के नए आयाम स्थापित किए। उनकी जयंती, जिसे "गुरु गोबिंद सिंह जयंती" कहा जाता है, हर साल चंद्र कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है। 2025 में, यह पावन पर्व 6 जनवरी को मनाया जाएगा। यह दिन न केवल सिख समुदाय बल्कि सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।


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गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन परिचय

गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना साहिब (वर्तमान में बिहार) में हुआ था। उनका मूल नाम "गोबिंद राय" था। बचपन से ही उन्होंने धार्मिक, सांस्कृतिक और सैन्य शिक्षा प्राप्त की। वे केवल 9 वर्ष की उम्र में गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हुए, जब उनके पिता, गुरु तेग बहादुर जी, ने कश्मीरी पंडितों और अन्य धर्मों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया।

खालसा पंथ की स्थापना

गुरु गोबिंद सिंह जी का सबसे बड़ा योगदान 1699 में खालसा पंथ की स्थापना है। बैसाखी के दिन उन्होंने पांच समर्पित सिखों को "पंच प्यारे" के रूप में चुना और खालसा को एक ऐसे अनुशासन का रूप दिया जो निडरता, समानता और मानवता का प्रतीक है।

गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु का दर्जा

गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब, को शाश्वत गुरु का दर्जा दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुरु ग्रंथ साहिब सिख समुदाय का मार्गदर्शन करेगा और सिख धर्म में किसी अन्य मानव को गुरु नहीं माना जाएगा।


गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएं

1. धर्म और न्याय के लिए संघर्ष

गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन को धर्म और न्याय के लिए समर्पित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिकता का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं है, बल्कि समाज में न्याय और समानता की स्थापना करना भी है।

2. समानता और भाईचारे का संदेश

उनकी शिक्षाओं में जाति, धर्म, और वर्ग से ऊपर उठकर मानवता की सेवा पर जोर दिया गया। खालसा पंथ के माध्यम से उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि समाज में सभी को समान अधिकार और सम्मान मिले।

3. निडरता और साहस

गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को सिखाया कि अन्याय के खिलाफ लड़ने में कभी पीछे न हटें। उनका आदर्श वाक्य था:
"सवा लाख से एक लड़ाऊं, तबै गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।"


2025 में गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महत्व

गुरु गोबिंद सिंह जयंती केवल एक उत्सव नहीं है; यह उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने का एक अवसर है। 2025 में यह पर्व ऐसे समय पर मनाया जा रहा है जब दुनिया सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक चुनौतियों का सामना कर रही है। गुरु गोबिंद सिंह जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।

वर्तमान संदर्भ में गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएं

1. समानता का आदर्श: आज जब समाज जाति, धर्म और वर्ग के आधार पर बंटा हुआ है, गुरु गोबिंद सिंह जी की समानता और भाईचारे की शिक्षा हमें याद दिलाती है कि सभी इंसान समान हैं।


2. न्याय के लिए संघर्ष: अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएं प्रेरणा का स्रोत बन सकती हैं।


3. सच्चाई और निडरता: उनके जीवन से सच्चाई और साहस का पाठ लेकर हम समाज में बदलाव ला सकते हैं।


जयंती समारोह

गुरुद्वारों में विशेष आयोजन

गुरु गोबिंद सिंह जयंती के दिन गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, अरदास और कथा का आयोजन किया जाता है। संगत (समुदाय) गुरु जी की शिक्षाओं और उनके बलिदानों को याद करती है।

लंगर (सामूहिक भोजन)

गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन गुरु गोबिंद सिंह जी की समानता और सेवा की भावना का प्रतीक है। इसमें सभी धर्मों और वर्गों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।

नगर कीर्तन

सिख समुदाय नगर कीर्तन (धार्मिक जुलूस) निकालता है। इसमें गुरु ग्रंथ साहिब को सुसज्जित पालकी में रखा जाता है और संगत भक्ति गीत गाते हुए आगे बढ़ती है।


गुरु गोबिंद सिंह जी की प्रासंगिकता

प्रेरणा का स्रोत

गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा है। उनकी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि कैसे निडरता, समर्पण और धर्म के प्रति आस्था से हम कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।

युवाओं के लिए आदर्श

आज के युवाओं को गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन से अनुशासन, साहस और सेवा का पाठ सीखना चाहिए। उनकी शिक्षाएं युवाओं को सकारात्मक दिशा में प्रेरित कर सकती हैं।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

गुरु गोबिंद सिंह जी का संदेश केवल सिख समुदाय तक सीमित नहीं है। उनकी शिक्षाएं मानवता के लिए हैं। उन्होंने मानवाधिकारों, समानता और स्वतंत्रता की जो बातें कहीं, वे आज भी वैश्विक समस्याओं के समाधान में सहायक हो सकती हैं।

निष्कर्ष

गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2025 केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें उनके जीवन और शिक्षाओं को आत्मसात करने का अवसर प्रदान करती है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपने आदर्शों और निडरता के साथ समाज में बदलाव ला सकता है।

इस दिन, आइए हम उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें। धर्म, न्याय, और समानता के लिए काम करें और समाज में ऐसी सकारात्मक ऊर्जा लाएं जो गुरु गोबिंद सिंह जी के आदर्शों के अनुरूप हो।

"चिड़ियन से मैं बाज लड़ाऊं, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊं। सवा लाख से एक लड़ाऊं, तबै गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।"
यह पंक्तियां हमें याद दिलाती हैं कि सच्चाई और साहस के साथ खड़ा होना ही सच्चे गुरु का अनुसरण करना है।

गुरु गोबिंद सिंह जी को कोटि-कोटि नमन।


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Guru Gobind Singh Jayanti 2025

WOLK : गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2025


गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती है। यह दिन सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म के सिद्धांतों को सुदृढ़ किया और खालसा पंथ की स्थापना की।

2025 में गुरु गोबिंद सिंह जयंती 6 जनवरी को मनाई जाएगी।


गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन परिचय

गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना साहिब (बिहार) में हुआ था। वह न केवल एक महान आध्यात्मिक गुरु थे, बल्कि एक अद्वितीय योद्धा, कवि और समाज सुधारक भी थे। उनका जीवन धर्म, समानता और मानवता के लिए समर्पित था।

प्रमुख योगदान:- 

1. खालसा पंथ की स्थापना (1699):-  बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और सिख धर्म को संगठित और सुदृढ़ किया।


2. पंच प्यारों का चयन:-  पांच समर्पित सिखों को "पंच प्यारे" के रूप में सम्मानित किया, जो निडरता और सेवा का प्रतीक हैं।


3. गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु का दर्जा:-  उन्होंने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब, को अंतिम और शाश्वत गुरु घोषित किया।


4. न्याय और समानता:-  उन्होंने समाज में जाति, धर्म और अन्य भेदभाव को खत्म करने के लिए संघर्ष किया।



जयंती का महत्व :- 

इस दिन को गुरु गोबिंद सिंह जी के आदर्शों और शिक्षाओं को याद करने के लिए मनाया जाता है।

मुख्य गतिविधियां:- 

गुरुद्वारों में कीर्तन और अरदास: पूरे दिन भक्ति गीत और प्रार्थनाएं होती हैं।

लंगर का आयोजन: सामूहिक भोजन का आयोजन किया जाता है, जो समानता और सेवा का प्रतीक है।

नगरी कीर्तन: सिख संगत नगर कीर्तन (धार्मिक जुलूस) निकालती है, जिसमें गुरु जी के जीवन के प्रसंगों को दर्शाया जाता है।



गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षा

1. सर्व मानवता की सेवा:- सभी इंसानों को समान समझकर उनकी सेवा करनी चाहिए।


2. निडरता और वीरता:- सच्चाई के लिए हमेशा खड़े रहो।


3. सत्य का पालन:- धर्म और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए।


गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन और शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि सच्चाई, साहस और सेवा का मार्ग ही मानवता का सच्चा धर्म है।

2025 में, आइए इस पावन दिन पर उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएं और उनके दिखाए मार्ग पर चलें।


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3 जन॰ 2025

Vinayaka Chaturthi

wolk: Vinayaka Chaturthi

विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन भक्त गणेश जी की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। इसे संकष्टी चतुर्थी (कृष्ण पक्ष में) और विनायक चतुर्थी (शुक्ल पक्ष में) के रूप में जाना जाता है।

पूजा विधि:- 

1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।


2. घर के पूजा स्थान को साफ करें और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।


3. गणेश जी को जल, फूल, दुर्वा, फल, और मोदक अर्पित करें।


4. गणेश चालीसा और गणपति स्तोत्र का पाठ करें।


5. अंत में आरती कर प्रसाद बांटें।



व्रत का महत्व:- 

विनायक चतुर्थी के व्रत को करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसे बुद्धि, ज्ञान, और विघ्नहर्ता के रूप में गणेश जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। साल 2025 की पहली विनायक चतुर्थी 3 जनवरी, शुक्रवार को है।

तिथि और समय:- 

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 3 जनवरी 2025 को रात 1:08 बजे

चतुर्थी तिथि समाप्त: 3 जनवरी 2025 को रात 11:39 बजे

पूजा मुहूर्त: 3 जनवरी 2025 को सुबह 11:24 बजे से दोपहर 1:28 बजे तक 



इस दिन चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए, क्योंकि इससे कलंक लगने की आशंका होती है। यदि अनजाने में चंद्र दर्शन हो जाए, तो 'स्यमंतक मणि' की कथा का श्रवण करना शुभ माना जाता है।

विनायक चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।


लेखक :-
way of life karma 
info@wayoflifekarma.com
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1 जन॰ 2025

Fasts and festivals of January 2025

Fasts and festivals of January 2025



जनवरी 2025 के व्रत और त्योहार

दिनांक व्रत त्योहार

3 जनवरी 2025 शुक्रवार- विनायक चतुर्थी

6 जनवरी 2025 सोमवार- गुरु गोबिंद सिंह जयंती

7 जनवरी 2025 मंगलवार- मासिक दुर्गाष्टमी

10 जनवरी 2025 शुक्रवार- वैकुंड एकादशी

11 जनवरी 2025 शनिवार- शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत

12 जनवरी 2025 रविवार- स्वामी विवेकानंद जयंती

13 जनवरी 2025 सोमवार- पौष पूर्णिमा व्रत, लोहड़ी,

14 जनवरी 2025 मंगलवार- मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण

17 जनवरी 2025 शुक्रवार- सकट चौथ

21 जनवरी 2025 मंगलवार- कालाष्टमी

22 जनवरी 2025 बुधवार- रामलला प्रतिष्ठा दिवस

25 जनवरी 2025 शनिवार- षटतिला एकादशी

27 जनवरी 2025 सोमवार- प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि

29 जनवरी 2025 बुधवार- मौनी अमावस्या

30 जनवरी 2025 बृहस्पतिवार- माघ नवरात्रि

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22 फ़र॰ 2023

Akshaya Tritiya

 

 अक्षय तृतीया , उसका महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी -

Akshaya Tritiya

Akshaya Tritiya, why is it important, know some important information -

- आज  ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।


-महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।


-माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था 


-द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।


- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।


- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।


-सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।


-ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।


- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।


- वृन्दावन  के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो वस्त्र से ढके रहते है ।


- इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।


- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है


जय जय श्री राधे श्याम