Way Of Life Karma: मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का विशेष महत्व है क्योंकि यह व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।इस एकादशी का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और पवित्र गीता जयंती से भी है।
यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा :-
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार गोकुल नगर में राजा वैखानस नामक एक धर्मपरायण और प्रजा वत्सल राजा शासन करते थे।
राजा की प्रजा सुखी और समृद्ध थी, लेकिन राजा हमेशा चिंतित रहते थे क्योंकि एक रात उन्होंने सपना देखा कि उनके स्वर्गवासी पिता नरक में कष्ट भोग रहे हैं।
राजा ने यह सपना देखने के बाद अपने कुलगुरु से इस विषय पर चर्चा की।
गुरु ने ध्यान लगाकर कहा कि उनके पिता पूर्व जन्म में किए गए पाप कर्मों के कारण नरक में कष्ट भोग रहे हैं।
इस पाप से उनकी मुक्ति का उपाय मोक्षदा एकादशी का व्रत करना है।
गुरु ने राजा को बताया कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करके और भगवान विष्णु की पूजा करके उनके पिता को नरक से मुक्ति मिल सकती है।
राजा का व्रत और पिता की मुक्ति :-
राजा वैखानस ने मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और अपने राज्य की प्रजा को भी इस व्रत में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया।
भगवान विष्णु ने उनकी भक्ति और व्रत से प्रसन्न होकर दर्शन दिए और उनके पिता को नरक से मुक्त कर दिया।
व्रत का महत्व :-
मोक्षदा एकादशी व्रत करने से पापों का नाश होता है।
यह व्रत पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्रदान करता है।
भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
व्रत विधि :-
1. प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
2. भगवान विष्णु की पूजा करें और गीता पाठ का आयोजन करें।
3. दिनभर उपवास रखें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
4. शाम को भगवान की आरती करें और भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
5. रात में जागरण कर भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ करें।
6. अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।
मोक्षदा एकादशी का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और आत्मा को मुक्ति का मार्ग मिलता है।
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