9 जुल॰ 2025

सावन सोमवार 2025 की तिथियाँ और व्रत का महत्व – जानिए सभी सोमवारी की तिथियाँ



 सावन सोमवार 2025 की तिथियाँ और महत्व


🌿 सावन सोमवार 2025 की तिथियाँ: शिवभक्ति का पावन अवसर


सावन मास भगवान शिव की भक्ति का महीना होता है और इस मास के सोमवार का विशेष महत्व होता है। इसे “सावन सोमवारी व्रत” कहते हैं, जिसमें भक्तगण उपवास रखकर जल, दूध, बेलपत्र आदि से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।


📅 सावन सोमवार 2025 की तिथियाँ 

(Sawan Somwar Dates 2025)


उत्तर भारत (पूर्णिमा से शुरू पंचांग) अनुसार:-


 

  • पहला सोमवार – 14 जुलाई 2025

 

  • दूसरा सोमवार – 21 जुलाई 2025

 

  • तीसरा सोमवार – 28 जुलाई 2025

 

  • चौथा सोमवार – 4 अगस्त 2025

 

  • पाँचवाँ सोमवार – 11 अगस्त 2025



उत्तर भारत में सावन 13 जुलाई 2025 से शुरू होकर 12 अगस्त 2025 तक रहेगा।



🔱 सावन सोमवार का महत्व


  • हर सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जाती है।

 

  • कुंवारी कन्याएं अच्छा वर प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।

 

  • विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना से यह व्रत रखती हैं।

 

  • ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप इस समय विशेष फलदायक माना जाता है।

 


🔱क्या करें सावन सोमवार को


  • प्रातः स्नान कर शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं।
  • बेलपत्र, धतूरा, आक, शहद और दही अर्पित करें।
  • "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • दिन भर फलाहार करें और संध्या को शिव आरती करें।



सावन सोमवार वह पावन दिन है जब शिव अपने भक्तों के सबसे निकट होते हैं। इन पांच पावन सोमवारों में सच्चे मन से की गई भक्ति निश्चित रूप से मनोकामना पूर्ण करती है।



निष्कर्ष:


सावन के सोमवार भगवान शिव को समर्पित पावन दिन होते हैं। इन तिथियों पर व्रत रखकर शिव का पूजन करने से समस्त कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।






30 जून 2025

तीन अनमोल सूत्र (मेंहनत, धर्म, मौन )

 तीन अनमोल सूत्र 

Three precious sutras (hard work, religion, silence)

मेंहनत करने से दरिद्रता, धर्म करने से पाप और मौन धारण करने से कभी भी कलह नहीं रहता है।"

मेहनत - केवल मेहनत करना ही पर्याप्त नहीं अपितु उचित दिशा में अथवा तो एक ही दिशा में मेहनत करना भी अनिवार्य हो जाता है। उचित समय एवं उचित दिशा में की गई मेहनत सदैव जीवन उन्नति का मूल होती है। 

 

धर्म - सत्य, प्रेम और करुणा ये धर्म का मूल है। धर्म को समग्रता की दृष्टि से देखा जाए तो परोपकार, परमार्थ, प्राणीमात्र की सेवा, सद्कर्म, श्रेष्ठ कर्म, सद ग्रंथ अथवा तो सत्संग का आश्रय, ये सभी धर्म के ही रूप हैं। जब व्यक्ति द्वारा इन दैवीय गुणों को जीवन में उतारा जाता है तो उसकी पाप की वृत्तियां स्वतः नष्ट होने लगती हैं।

 

मौन - मौन का टूटना ही परिवार में अथवा तो समाज में कलह को जन्म देता है। विवाद रूपी विष की बेल काटने के लिए मौन एक प्रबल हथियार है।आवेश के क्षणों में यदि मौन रुपी औषधि का पान किया जाए तो विवाद रुपी रोग का जन्म संभव ही नहीं। 

 

आवेश के क्षणों में मौन धारण करते हुए धर्म मार्ग का आश्रय लेकर पूरे मनोयोग से मेहनत करो, यही सफलतम जीवन का सूत्र है।



28 जून 2025

वेद

 वेद



हिंदू धर्म की नींव वेद प्राचीन संस्कृत ग्रंथों का एक संग्रह है जिन्हें हिंदू धर्म का मूलभूत ग्रंथ माना जाता है। उन्हें श्रुति के रूप में सम्मानित किया जाता है, जिसका अर्थ है "जो सुना जाता है," जिसका अर्थ दिव्य रहस्योद्घाटन है।


 चार वेद

 ऋग्वेद:- मुख्य रूप से विभिन्न देवताओं को संबोधित भजनों, प्रार्थनाओं और आह्वानों का संग्रह। यह वैदिक काल के ब्रह्मांड विज्ञान, पौराणिक कथाओं और सामाजिक संरचना में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

 

सामवेद:-  इसमें धार्मिक प्रयोजनों के लिए उपयोग की जाने वाली धुनें और मंत्र शामिल हैं। इसकी अधिकांश सामग्री ऋग्वेद से ली गई है। 


यजुर्वेद:- मुख्य रूप से अनुष्ठानों और बलिदानों के संचालन के लिए गद्य सूत्रों का एक संग्रह। इसमें पद्य और गद्य दोनों अनुभाग सम्मिलित हैं। 


अथर्ववेद:- बीमारियों, बुरी ताकतों और अन्य सांसारिक समस्याओं से सुरक्षा के लिए मंत्र, मंत्र और आकर्षण पर केंद्रित है। इसमें घरेलू अनुष्ठानों और जादू से संबंधित भजन भी शामिल हैं।

 

संहिताओं से परे: जबकि वेदों को मुख्य रूप से इन चार संहिताओं (संग्रहों) में विभाजित किया गया है, वैदिक साहित्य में ये भी शामिल हैं: 


ब्राह्मण:- संहिताओं में वर्णित अनुष्ठानों पर टिप्पणियाँ। 


अरण्यक:- वनवासियों के लिए ग्रंथ, जिनमें दार्शनिक और रहस्यमय अटकलें शामिल हैं। 


उपनिषद:- दार्शनिक ग्रंथ वास्तविकता की प्रकृति, आत्मा और मुक्ति (मोक्ष) के मार्ग की खोज करते हैं।


 वेद और उनसे जुड़े ग्रंथ हिंदू दर्शन, अनुष्ठान और विश्वदृष्टि का आधार बनते हैं। विद्वानों और अभ्यासकर्ताओं द्वारा समान रूप से उनका अध्ययन और व्याख्या जारी है।


Bhagavad Gita Updesh in Hindi

श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश 

(Bhagavad Gita Updesh in Hindi)


भगवद्गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म, धर्म, ज्ञान और भक्ति का उपदेश दिया। यह 18 अध्यायों और 700 श्लोकों में समाया हुआ है।


 भगवद्गीता के मुख्य उपदेश 

(Key Teachings in Hindi)



1. कर्म योग (निष्काम कर्म का सिद्धांत)

- "कर्म करो, फल की इच्छा मत करो।" (2.47)  
- भगवान कृष्ण कहते हैं कि हमें अपना कर्तव्य (धर्म) निःस्वार्थ भाव से करना चाहिए, लेकिन फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।  

2. आत्मा अमर है (अजर-अमर आत्मा का ज्ञान)

- "आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है।" (2.20)  
- शरीर नश्वर है, लेकिन *आत्मा अनश्वर* है। मृत्यु से डरना व्यर्थ है।

3. मन की शक्ति (मन पर विजय)

- "मन ही मनुष्य का मित्र है और मन ही शत्रु भी।" (6.5)  
- अगर मन को वश में कर लिया जाए, तो यह *सबसे बड़ा सहायक* बन जाता है।  

4. समदर्शी भाव (सुख-दुःख में समान भाव)

- "सुख-दुःख, लाभ-हानि, जय-पराजय में समान भाव रखो।" (2.38)  
- जो व्यक्ति हर स्थिति में शांत रहता है, वही योगी है।

5. भक्ति योग (ईश्वर की शरणागति)
  
- "सभी धर्मों को छोड़कर मेरी शरण में आ जाओ, मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूँगा।" (18.66)  
- भगवान की भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है।  

6. त्याग और संन्यास का सही अर्थ
 
- "कर्म करो, लेकिन फल का मोह छोड़ दो।" (5.10)  
- संन्यास का मतलब कर्म छोड़ना नहीं, बल्कि फल की इच्छा छोड़ना है।

 7. ज्ञान योग (सच्चा ज्ञान क्या है?) 

- "जो मुझे सबमें और सबको मुझमें देखता है, वही सच्चा ज्ञानी है।" (6.30)  
- ईश्वर सर्वव्यापी है, इस ज्ञान से अहंकार नष्ट होता है।  

8. ध्यान योग (मन की एकाग्रता)  

- "जैसे दीपक हवा रहित स्थान पर स्थिर रहता है, वैसे ही योगी का मन भगवान में स्थिर होता है।" (6.19)  
- ध्यान से मन शांत होता है और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

 9. प्रकृति के तीन गुण (सत्त्व, रजस, तमस)
  
- "सत्त्वगुण शांति देता है, रजोगुण कर्मप्रेरित करता है, तमोगुण अज्ञान में डालता है।" (14.5-9)  
- इन तीनों गुणों से ऊपर उठकर ही मुक्ति संभव है।  

10. निष्ठा और समर्पण
 
- "जो भक्त जिस भाव से मुझे याद करता है, मैं उसे उसी रूप में प्राप्त होता हूँ।" (4.11)  
- ईश्वर भक्त के प्रेम के अनुसार स्वयं को प्रकट करते हैं।।

 जीवन में समय चाहे जैसा भी हो,
परिवार के साथ रहो, सुख हो तो बढ़ जाता है,
और दुःख हो तो बंट जाता है!

– श्रीकृष्ण ज्ञान
 जीवन में अगर धैर्य को अपना मित्र बना लिया,
तो हम जो चाहें वो पा सकते हैं..!

 "क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है, भ्रम से बुद्धि व्यर्थ हो जाती है।"

(भगवद गीता 2.63)
👉 क्रोध को त्यागना आवश्यक है, क्योंकि यह विवेक को नष्ट करता है।

ll श्रीमद भगवद गीता ll


 "जो मन को नियंत्रित नहीं करता, वह उसका शत्रु बन जाता है।"
(भगवद गीता 6.6)

👉 आत्म-संयम और मन का नियंत्रण ही सफलता की कुंजी है।

|| श्रीमद भगवद गीता ।।
 "जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं अवतार लेता हूँ।"
(भगवद गीता 4.7)

👉 श्रीकृष्ण का यह वचन धर्म की पुनःस्थापना का प्रतीक है।

|| श्रीमद भगवद गीता ।।

  गीता किसके लिए उपयोगी है?


- जो जीवन में शांति चाहते हैं।  

- जो कर्म करते हुए भी मोक्ष पाना चाहते हैं।  

- जो मन की चंचलता से परेशान हैं।  

- जो सफलता और असफलता में समभाव रखना चाहते हैं।  

"गीता ज्ञान का अथाह सागर है, जिसमें डुबकी लगाने वाला हर व्यक्ति जीवन का सच्चा मार्ग पा लेता है।"


गीता का सार 

(Essence of Bhagavad Gita in Hindi)


✅ कर्म करो, लेकिन फल की चिंता मत करो।

✅ मन को वश में करो, यही सच्चा योग है।

✅ ईश्वर सर्वत्र हैं, सभी में उन्हें देखो।

✅ सुख-दुःख में समान भाव रखो।

✅ अंततः भगवान की शरण में जाना ही मोक्ष है।




16 जून 2025

सुविचार


इंसान की परेशानियों की केवल दो ही वजह है

वह भाग्य से अधिक उम्मीद करता है..
और समय से पहले चाहता है.! 

!! राधे राधे !!




Daily Quotes



बुराई वही करते हैं जो बराबरी नहीं कर सकते..



एक मर्द की कामयाबी के पीछे
उसके बूढ़े बाप की जवानी होती है...!! 



वक़्त, दोस्त, और रिश्ते,
वो चीज़ें हैं
जो मिलती तो मुफ़्त में हैं
मगर इनकी कीमत का
पता तब चलता है
जब ये कहीं खो जाते हैं...


अगर कर्म पर विश्वास
और भगवान पर श्रद्धा रखोगे,
तो समय कितना भी बुरा क्यों न हो,
रास्ता अवश्य मिल जाएगा..!



     सुंदर औरत और
     कमाऊ पुरुष के
 अलावा यहाँ जो भी हैं
      समाज उसे रद्दी
        समझता हैं।



      कल मैं होशियार था,
         इसलिए मैं
    दुनिया को बदलना
         चाहता था।
   आज मैं बुद्धिमान हूँ,
         इसलिए
   मैं अपने आप को
     बदल रहा हूँ।

  🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂

14 जून 2025

गीता का सार क्या है? – आधुनिक जीवन के लिए भगवद गीता की शिक्षा



🕉️ गीता का सार क्या है? – आधुनिक जीवन के लिए भगवद गीता की शिक्षा






🔶 प्रस्तावना

भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लिए मार्गदर्शक है। अर्जुन को युद्धभूमि में उपदेश देते हुए श्रीकृष्ण ने जो ज्ञान दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना महाभारत के समय था। चाहे मानसिक तनाव हो, निर्णय की दुविधा, या आत्मिक उलझन — गीता हर स्थिति में स्पष्टता और स्थिरता प्रदान करती है।





🔶 भगवद गीता की मूल संरचना


700 श्लोक, 18 अध्यायों में विभाजित

श्रीकृष्ण और अर्जुन का संवाद

युद्धभूमि में दिया गया उपदेश — "धर्म" और "कर्म" का यथार्थ ज्ञान




🔶 गीता के प्रमुख विषय



1. कर्मयोग –

कर्तव्य करो, फल की चिंता मत करो।

श्रीकृष्ण कहते हैं:


 "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"
(अध्याय 2, श्लोक 47)






2. ज्ञानयोग –

"मैं कौन हूँ?" आत्मा का स्वरूप, माया और ब्रह्मा का भेद



3. भक्तियोग –

श्रद्धा और समर्पण से ईश्वर प्राप्ति

"समर्पण ही मोक्ष का द्वार है"



4. धर्म का पालन –

अपने स्वधर्म को निभाना ही सच्चा जीवन है |




🔶 गीता के कुछ अमूल्य श्लोक



🔸 1. कर्म का अधिकार

 "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"



🔸 2. अकर्म भी एक कर्म है

 "न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्"

(कोई भी व्यक्ति एक क्षण भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता)





🔸 3. धर्म की रक्षा हेतु अवतार

" यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत..."  (अध्याय 4, श्लोक 7)




🔶 आधुनिक जीवन में गीता की शिक्षा



* तनाव और चिंता में सहारा

जब जीवन अनिश्चित हो, गीता हमें आंतरिक शांति की ओर ले जाती है





* काम में स्थिरता

कर्मयोग सिखाता है — काम को पूजा की तरह करें, बिना फल की चिंता के


* इच्छाओं पर नियंत्रण

इच्छाएँ ही दुःख का मूल कारण हैं — गीता में इसे स्पष्ट किया गया है





* आत्मिक संतुलन

स्वयं को जानना और परिस्थितियों में स्थिर रहना — यही योग है




🔶 गीता का व्यावहारिक उपयोग



समस्या समाधान गीता से



निर्णय में उलझन "कर्तव्य पहचानो, मोह छोड़ो"

तनाव और भय "अहंकार छोड़ो, आत्मा अमर है"

फल की चिंता "कर्म करो, फल भगवान पर छोड़ो"

आत्म-हीनता "तुम आत्मा हो – अजर, अमर, अपराजेय"



🔶 निष्कर्ष

भगवद गीता कोई कल्पनाओं की पुस्तक नहीं, यह जीवन का विज्ञान है।

यह सिखाती है कि :-


कर्म कैसे करना है

जीवन में धर्म क्या है

माया से कैसे मुक्त होना है

और अंततः – मोक्ष कैसे प्राप्त करना है




आज के युग में जहाँ इंसान बाहरी प्रगति कर रहा है, वहाँ आंतरिक स्थिरता के लिए गीता ही प्रकाशस्तंभ है।


 "गीता न केवल पढ़ी जाए, बल्कि जिया जाए"