हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा और साक्ष्य
हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा का उल्लेख विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में मिलता है। यह परंपरा उनकी असीम भक्ति, बल, और संकटमोचक स्वरूप से जुड़ी हुई है।
1. हनुमान जी और सिंदूर से जुड़ी कथा
वाल्मीकि रामायण और अन्य पुराणों में हनुमान जी की भक्ति के अनेक प्रसंग मिलते हैं, लेकिन सिंदूर चढ़ाने की प्रथा से जुड़ी मुख्य कथा इस प्रकार है—
एक बार माता सीता ने हनुमान जी को यह बताया कि भगवान श्रीराम उनके सिंदूर लगाने से प्रसन्न होते हैं और उनकी लंबी आयु होती है। यह सुनकर हनुमान जी ने सोचा कि यदि थोड़ा सा सिंदूर लगाने से श्रीराम इतने प्रसन्न होते हैं, तो यदि वे पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लें तो प्रभु और अधिक प्रसन्न होंगे और उनकी आयु अनंत हो जाएगी। इसी विचार से हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर को सिंदूर से रंग लिया।
जब श्रीराम ने हनुमान जी को इस रूप में देखा, तो वे अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने आशीर्वाद दिया कि जो भी भक्त हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करेगा, उसे उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा और उसके सभी कष्ट दूर होंगे।
2. पुराणों और ग्रंथों में साक्ष्य
(i) ब्रह्मवैवर्त पुराण
ब्रह्मवैवर्त पुराण में हनुमान जी की भक्ति और श्रीराम के प्रति उनकी श्रद्धा का विस्तार से उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि हनुमान जी अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न उपाय अपनाते थे।
(ii) स्कंद पुराण
स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से भक्त की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और उसे बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है।
(iii) तुलसीदास रचित रामचरितमानस
रामचरितमानस में हनुमान जी के बल, भक्ति और श्रीराम के प्रति उनकी निष्ठा का वर्णन किया गया है। सिंदूर से जुड़ी कथा का सीधा उल्लेख तो नहीं है, लेकिन उनकी भक्ति को सर्वोपरि बताया गया है।
3. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
1. सिंदूर को शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है, इसलिए हनुमान जी को इसे अर्पित किया जाता है।
2. सिंदूर चढ़ाने से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है, क्योंकि हनुमान जी को "संकटमोचक" कहा जाता है।
3. शक्तिपीठों में भी सिंदूर का विशेष महत्व होता है, और हनुमान जी शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।
4. आज की परंपरा में प्रचलन
हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के भक्त सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाते हैं।
यह विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रचलित परंपरा है, जहाँ भक्त उनके चरणों में सिंदूर चढ़ाकर संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
निष्कर्ष
हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा एक पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है और इसका उल्लेख विभिन्न ग्रंथों में मिलता है। यह परंपरा शक्ति, भक्ति और श्रीराम के प्रति उनकी असीम निष्ठा को दर्शाती है। धार्मिक दृष्टि से भी इसे शुभ माना जाता है और इससे भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें